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ख्वाहिशों का जंगल

मृत्यु्ंजय उपाध्याय नवल

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :112
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 16458
आईएसबीएन :9781613017395

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100 हृदयस्पर्शी ग़ज़लें

ग़ज़ल-क्रम


1. आते हैं सैलाब तो किनारे डूब जाते हैं - 13
2. उस उम्र की कहानी कुछ और है - 14
3. नित-नए सांचे में ढलते लोग - 15
4. चेहरा कोई साफ दिखाई नहीं देता - 16
5. एक दो फूल तो पतझर में भी खिल जाता है - 17
6. तेरे मिलने की ख़बर सबसे बचा रखी थी - 18
7. पतझड़ को भी बहार कर लेंगे - 19
8. मेरी मुहब्बत को संभाले रखना - 20
9. हर शख़्स तेरा दीवाना है - 21
10. डूब जाता है सपनों का समंदर इस तरह - 22
11. कई बातें ऐसी हैं जिन्हें हमने भुलाया है - 23
12. उम्र भर उम्र को ताकते रहे - 24
13. चलते रहे यूँ ज़िंदगी के वास्ते - 25
14. एक रिश्ता पतझड़ से होना चाहिए - 26
15. वो भी मुझे चाहे ये ज़रूरी तो नहीं - 27
16. लिखना बड़ा ज़रूरी है हाशिए से लिखना - 28
17. मिलता है जब भी तो कैफियत पूछता है - 29
18. उनके हुस्न की जागीर ऐसी थी - 30
19. बड़े बेज़ार लगते हो परेशान हो क्या - 31
20. अरे यार अब घबराते क्यों हो - 32
21. सुकूं देती हैं बस यार की बातें - 33
22. ख़्वाहिशों का जंगल बड़ा वीरान नज़र आता है - 34
23. ख़्वाहिशों के जंगल में बहुत दूर निकला - 35
24. आँख छलकी मगर होंठ हँसते रहे - 36
25. बज़्मे तरब को फिर सजाऊँ कैसे - 37
26. तन्हा सफ़र था और रात ऐसी थी - 38
27. लांघ कर दरिया उसकी रवानी भूल जाते हैं - 39
28. तुम सा कोई सच्चा नहीं है - 40
29. बढ़ते फासले दरमियाँ मिटा देते तो अच्छा था - 41
30. तुम मिले और दिल लगाना हो गया - 42
31. गाँव - गाँव चलते हम - 43
32. कहने को समझाने निकले - 44
33. भाई - भाई में अलगाव न होता - 45
34. जब- जब चर्चे हुए हैं उनके - 46
35. हँसते रहिए हँसाते रहिए - 47
36. ना फरेब करते हैं ना काज़ा करते हैं - 48
37. जो बिल्कुल ना चले वो आगे निकल गए - 49
38. बीच सफ़र में साथ नहीं छोड़ा करते - 50
39. ना मैं बुरा ना तू बुरी है - 51
40. हाले दिल सुनाएँ तो सुनाएँ किसको - 52
41. सबको अपना बनाने की जरूरत क्या है - 53
42. प्यार में इकरार की बात आ जाती है - 54
43. हम जितने सयाने हो गए - 55
44. दिल में है जो बात उसे कहिए तो सही - 56
45. उससे इश्क कभी कम नहीं होता - 57
46. नदी फिर से उफान पर है - 58
47. वही नग़मा रात भर गाता रहा - 59
48. जिसे आता है वफ़ा करना उसे हर काम आता है - 60
49. अपना ग़म सी लेते हैं - 61
50. हिज़्र की रात है और तन्हाई है - 62
51. आँखों में समंदर होठों पर प्यास है - 63
52. दोस्ती में कोई छोटा सयाना नहीं होता - 64
53. चाँद समझा जिसे वह तारा निकला - 65
54. ग़म से कहीं ना नज़ात मिले - 66
55. नए-नए चिराग जलाते रहिए - 67
56. सूनी आँखों में ख़्वाब सजाता तो है - 68
57. अबकी मिलना तो गिला ना करना - 69
58. एहसास चुभते हैं नुकीले काँटों से - 70
59. जब फलक पर चाँद तन्हा दिखाई देता है - 71
60. मीरा जैसा प्यार कहाँ है - 72
61. आँखों से बयाँ होती हैं कहाँ प्यार की बातें - 73
62. कैसे गुजरी है रात न पूछ - 74
63. सच से थोड़ा पहले अच्छा - 75
64. तुम सयाने हम सयाने - 76
65. उनसे तो कुछ काम नहीं है - 77
66. आँखों में समंदर लगते तिश्नगी है - 78
67. दो घरों की आग में कुछ रोटियाँ सिकती रहीं - 79
68. लड़ता रहा हिलाल शब भर तीरगी से - 80
69. कोई नग़मा दे फिर गुनगुनाने के लिए - 81
70. तू मेरी मंज़िल कहाँ मैं तेरा साहिल कहाँ - 82
71. हर तरफ भीड़ है हर तरफ बाज़ार है - 83
72. कभी याद रखना कभी भूल जाना - 84
73. करवटें बदलते रहे हम तेरे ख्याल में - 85
74. लहू का एक-एक क़तरा वतन की निगरानी में है - 86
75. हर चीज़ इस दुनिया की कुर्बान इस वतन पर - 87
76. फूलों की निगरानी कौन करेगा सोचो तो - 88
77. वो तड़प वो चुभन वो इंतजार ना रहा - 89
78. सत्ता के खातिर चले हैं मिल कर देखो - 90
79. ज़ख्म सूख ना पाए वार ऐसा था - 91
80. ख़्वाहिशों का जंगल है रेत की नदी है - 92
81. कभी इधर की या उधर की अपनीबातें कब होंगी - 93
82. अपना ग़म सी लेते हैं - 94
83. धूप मिट्टी हवा लिख - 95
84. जब से मिली नज़र मेरी उनकी निगाह से - 96
85. हर चेहरे पर एक चेहरा मिलता है - 97
86. दुश्मन से भी यारी रख - 98
87. अपनी पनाह से दरबदर ना कर - 99
88. संग तेरे ज़िंदगी बेहतरीन लगती है - 100
89. आँखों में हया बदन पर लिबास रखना - 101
90. दिल दिमाग पर जब कोई दबाव आता है - 102
91. हँसी है, ख़्वाब है, बिछौना है - 103
92. आओ फिर मिलते हैं मन बचकाना हो जाए - 104
93. दर बदर जिसे ढूंढा वो पास मिला - 105
94. दगा कर के वे आसी दिल नशाद किया है - 106
95. जलते हुए चरागों को बुझाया किसने? - 107
96. नित-नए साँचे में ढलते लोग - 108
97. उनको नसीब बना लिया हमने - 109
98. नहीं रहा किसी से कोई वास्ता अब - 110
99. ना होश में आ ना मयकशी की बात कर - 111
100. कुछ लोग थे जो नफ़रत के बीज बो गए - 112

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